দুপুরবেলা পুকুরপাড়ে
----সৃজিতা পাল
(বনমালিপুর / দ্বারিকা / বিষ্ণুপুর)
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অম্বিকা তার মা , বাবার সঙ্গে রামপুর গ্রামে থাকে। পুরো গ্রামের মানুষ তাকে খুব ভালোবাসে ।সে সবার প্রিয়। তার চোখ সুন্দর ও কালো । তার লম্বা মোটা চুল অনেক সুন্দর।
একদিন
অম্বিকা - এত গরমে স্নান করতে যায় না মা।
মা - যা বাথরুমে করে নে কিন্তু এই ভরদুপুরে পুকুরপাড়ে একদম যাবি না।
শত বার জোর করার পরও তার মা তাকে পুকুরপাড়ে যেতে দেয় না
অম্বিকা - ঠিক আছে যাবো না ।
মা তার ঘর থেকে বেরিয়ে নিজের ঘরে যেয়ে ঘুমিয়ে পড়ে মা ঘুমিয়ে যাবার পর অম্বিকা তার ঘর থেকে বেরিয়ে পড়ে পুকুরপাড়ে স্নান করার জন্য
পুকুরপাড়ে যাওয়ার পর সে তার লম্বা ঘন চুল খুলে পুকুরের জলে নেমে ডুব দেয়। গ্রীষ্মের খরতাপে কোনো জনপ্রাণী দেখা যাচ্ছিল না তখন । স্নান শেষে অম্বিকা পুকুর থেকে উপরে উঠে আসে । পিছন ফিরতেই সে একটি মহিলাকে দেখে তার মাথায় কোনো চুল ছিল না সম্পূর্ণ ন্যাড়া।
মহিলা - তোমার নাম কি?
অম্বিকা - অম্বিকা চক্রবর্তী কেনো?
মহিলা - তোমার ঐ লম্বা ঘনও চুলটা খুব সুন্দর । আর কালো চোখগুলো খুব মায়াবী।
অম্বিকা - ধন্যবাদ।
মহিলা - সাবধানে থেকো । একা একা পুকুরপাড়ে আসো না যেন ।
অম্বিকা - কেনো?
মহিলা মৃদু হাসি দেয় এবং সেখান থেকে চলে যায়। তার হাসিতে এক শয়তানি ভাব ছিল।
অম্বিকা বাড়ি ফিরে আসে দেখে তার মা তখনো ঘুমোছিল । সে তার রুমে যাই এবং বিছানায় শুয়ে পড়ে। সে চোখ বন্ধ করে কিন্তু সে কারও একটা উপস্থিতি অনুভব করতে থাকে। সে চোখ খুলে দেখে কিন্তু কেউ ছিল না। বিকেল হলে সে ছাদে যায় । ঠান্ডা হওয়া বয়ছিল সে তার চুল খুলে এবং তার চুল হওয়ায় উড়তে থাকে। সে চাদর নিচ থেকে দেখে সেই মহিলাকে তার দিকেই তাকিয়ে আছে। সে নিচে চলে আসে।
সন্ধ্যে হয়ে যায় সে পড়তে বসে। স্টাডি টেবিলে এর সামনে একটা জানালা যেখান থেকে সেই পুকুরটাকে দেখা যাচ্ছিল। পুকুরটিকে দেখে তার সেই মহিলার কথা মনে পড়ে। কিছুক্ষণ পর স্ট্রিয়ারলাইটের আলোতে দেখে সেই মহিলা পুকুরে গোসল করে উপরে উঠে আসছে।
অম্বিকার মা তার ঘরে আসে এবং তার পাশে বসে।
অম্বিকা - মা ও এত সন্ধায় কেনো গোসল করছে?
মা - কে ? কই আমি তো কাওকে দেখতে পাচ্ছি না।
অম্বিকা - আরে ওই তো ।
মা - তা ছাড় বেশি মসকরা করিস না তো। অম্বিকা শোন তোর দিদা খুব অসুস্থ। আমি আর তোর বাবা দেখতে যাবো । আজ রাতে আর ফিরব না তুই নিজের খেয়াল রাখিস।
অম্বিকা - ঠিক আছে। কখন বেরোবে তোমরা?
মা - এই তো এবার বেরোবো।
অম্বিকা - ঠিক আছে ।
এই বলে তার মা, বাবা বেরিয়ে পড়ে, রাতে সে খাবার খেয়ে শুয়ে পড়ে এবং ঘুমিয়ে পড়ে। তার ঠিক রাত ৩:৩৩ তে ঘুম ভেঙ্গে যায়। সেই জানালা থেকে স্ট্রিটলাইটের আলো আসছিল তাতে সে দেখে তার বেড এর পাশে হাত পা অদ্ভুত ভাবে মুড়ে বসে আছে। স্ট্রিটলাইট এর আলোতে সে দেখতে পায় এটা সেই মহিলা
অম্বিকা - কে তুমি আর আমার বাড়িতে কি করছ?
মহিলা - আমি? আমায় চিনতে পারছিস না সেই যে পুকুরপাড়ে আমার সাথে তোর দেখা হলো ।আমি তো অপরাজিতা।
অম্বিকা - তুমি আমার বাড়িতে কেনো এসেছো?
মহিলা - তোর ওই লম্বা ঘনও ছিল আমার খুব ভালো লেগেছে। আমাকে ওটা দিয়ে দে । দেখে না আমার মাথায় তো একটাও চুল নেই।
অম্বিকা - তুমি চলে যাও এখন থেকে ।
মহিলা - চলে যাব কিন্তু তোর চুলটা আগে দে ।
অম্বিকা - না না চলে যাও তুমি চলে যাও ।
মহিলা - কি বললি তুই আমাকে তোর চুল দিবি না?
অম্বিকা - না না দেবো না আমি দেবো না।
মহিলা মৃদু হাসে এবং এক লাফে তার সামনে আসে। তার চুল জোর করে টান দেয় মহিলা। আম্বিকার মাথায় প্রচন্ড ব্যথা অনুভব হয়। মনে হয় তার অনেক চুল একসাথে টেনে ছিঁড়ে দিছে।
অম্বিকা জোরে চিৎকার করে এবং তার ঘুম ভেঙ্গে যায়। সে ভাবে তবে সবই কি ছিল একটা স্বপ্ন? সে আয়নায় নিজেকে দেখে । দেখে তার অর্ধেক চুল আর নেয়......
Afternoon by the Pond
Ambika lived in Rampur village with her parents. Everyone in the village loved her deeply. She was everyone’s favorite. Her eyes were beautiful and black, and her long, thick hair was very pretty.
One Day
Ambika: “Mom, it’s so hot! Can’t I go to bathe in the pond?”
Mother: “Go and bathe in the bathroom, but don’t you dare go to the pond in this scorching afternoon.”
Even after begging her mother several times, she didn’t allow her to go.
Ambika: “Okay, I won’t go.”
Her mother left the room and went to her own room to take a nap. Once her mother fell asleep, Ambika quietly came out of her room and went towards the pond to bathe.
When she reached the pond, she loosened her long, thick hair and dipped herself into the cool water. There wasn’t a single living soul around in that burning summer heat. After finishing her bath, she came out of the pond — and suddenly, she saw a woman standing behind her. The woman had no hair at all — completely bald.
Woman: “What’s your name?”
Ambika: “Ambika Chakraborty. Why?”
Woman: “Your long thick hair is very beautiful. And your black eyes are so enchanting.”
Ambika: “Thank you.”
Woman: “Be careful. Don’t come to the pond alone.”
Ambika: “Why?”
The woman gave a faint smile and walked away. There was something evil hidden in her smile.
Ambika returned home and saw that her mother was still asleep. She went to her room and lay on the bed. As she closed her eyes, she felt someone’s presence near her. She opened her eyes — but no one was there.
In the evening, she went to the rooftop. A cool breeze was blowing. She untied her hair, and the wind played with it. As she looked down from the terrace, she saw the same woman staring up at her. Shocked, she hurried downstairs.
At dusk, she sat to study. From her study table, she could see the pond through the window. Looking at it reminded her of that woman. After some time, in the light of the streetlamp, she saw the woman bathing in the pond again!
Her mother entered the room and sat beside her.
Ambika: “Mom, why is that woman bathing so late in the evening?”
Mother: “Who? I don’t see anyone.”
Ambika: “There! Over there!”
Mother: “Stop joking now. Listen, your grandmother is very ill. Your father and I are going to visit her. We won’t return tonight. Take care of yourself.”
Ambika: “Okay. When will you leave?”
Mother: “Right now.”
Ambika: “Alright.”
Her parents left. That night, after dinner, Ambika went to bed and fell asleep. Around 3:33 a.m., she suddenly woke up. Streetlight shone through the window — and in that dim light, she saw someone crouched beside her bed, body twisted in a strange posture. It was that same woman!
Ambika: “Who are you? What are you doing in my house?”
Woman: “Me? Don’t you remember me? You met me by the pond. I’m Aparajita.”
Ambika: “Why have you come here?”
Woman: “I loved your long, thick hair. Give it to me. Look, I don’t have a single strand of hair.”
Ambika: “Go away right now!”
Woman: “I’ll go… but first, give me your hair.”
Ambika: “No! Leave me alone!”
Woman: “You won’t give it to me?”
Ambika: “No! Never!”
The woman gave a devilish smile and suddenly leapt toward her. She grabbed Ambika’s hair and pulled it violently. Ambika screamed in pain — it felt as if her hair was being ripped out from her scalp.
Ambika screamed loudly — and woke up. Was it all just a dream? She ran to the mirror — only to see half of her hair missing…
दोपहर में तालाब के किनारे
अंबिका अपने माँ-बाप के साथ रामपुर गाँव में रहती थी। पूरे गाँव के लोग उससे बहुत प्यार करते थे। वह सबकी चहेती थी। उसकी आँखें बड़ी और काली थीं, और उसके लंबे-घने बाल बहुत सुंदर थे।
एक दिन
अंबिका – “माँ, इतनी गर्मी में नहाने नहीं जाऊँ क्या?”
माँ – “बाथरूम में नहा ले, पर इस दोपहर में तालाब के पास बिल्कुल मत जाना।”
कई बार ज़ोर देने के बाद भी माँ ने उसे जाने नहीं दिया।
अंबिका – “ठीक है, नहीं जाऊँगी।”
माँ अपने कमरे में जाकर सो गई। माँ के सोते ही अंबिका चुपके से अपने कमरे से निकल पड़ी और तालाब की ओर चली गई।
तालाब पर पहुँचकर उसने अपने लंबे बाल खोले और पानी में उतर गई। दोपहर की तपती धूप में आस-पास कोई नहीं था। नहाने के बाद जब वह पानी से बाहर निकली, तो देखा – एक औरत खड़ी है। उसके सिर पर एक भी बाल नहीं था, वह पूरी तरह गंजा थी।
औरत – “तुम्हारा नाम क्या है?”
अंबिका – “अंबिका चक्रवर्ती। क्यों?”
औरत – “तुम्हारे बाल बहुत सुंदर हैं, और तुम्हारी काली आँखें बहुत मोहक हैं।”
अंबिका – “धन्यवाद।”
औरत – “सावधान रहना, अकेले तालाब पर मत आया करो।”
अंबिका – “क्यों?”
औरत मुस्कुराई, पर उसकी मुस्कान में एक शैतानी छाया थी। वह वहाँ से चली गई।
अंबिका घर लौटी तो देखा माँ अब भी सो रही है। वह अपने कमरे में गई और बिस्तर पर लेट गई। आँखें बंद करते ही उसे किसी की मौजूदगी महसूस हुई। उसने आँखें खोलीं – पर कोई नहीं था।
शाम को वह छत पर गई। हवा चल रही थी। उसने बाल खोले और बाल हवा में उड़ने लगे। नीचे देखा – वही औरत उसे घूर रही थी। वह डरकर नीचे आ गई।
रात में वह पढ़ने बैठी। उसके सामने की खिड़की से तालाब दिखाई देता था। उसने देखा – स्ट्रीट लाइट की रोशनी में वही औरत तालाब में नहा रही है।
तभी उसकी माँ कमरे में आई।
अंबिका – “माँ, वह औरत इतनी देर शाम को क्यों नहा रही है?”
माँ – “कौन? मुझे तो कोई नहीं दिख रहा।”
अंबिका – “वो देखो!”
माँ – “अब मज़ाक बंद कर। सुन, तेरी दादी बहुत बीमार हैं। मैं और तेरे पापा अभी जा रहे हैं, आज रात नहीं लौटेंगे। तू अपना ध्यान रखना।”
अंबिका – “ठीक है। कब जाओगे?”
माँ – “अभी।”
अंबिका – “ठीक है।”
रात में वह खाना खाकर सो गई। रात के 3:33 बजे उसकी नींद खुली। खिड़की से आती स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी में उसने देखा – उसके बिस्तर के पास कोई झुका हुआ बैठा है। वही औरत!
अंबिका – “कौन हो तुम? मेरे घर में क्या कर रही हो?”
औरत – “मुझे पहचान नहीं पाई? तालाब पर मिली थी। मैं अपराजिता हूँ।”
अंबिका – “यहाँ क्यों आई हो?”
औरत – “मुझे तेरे लंबे, घने बाल बहुत पसंद आए। मुझे दे दे। देख, मेरे सिर पर एक भी बाल नहीं है।”
अंबिका – “यहाँ से चली जाओ!”
औरत – “चली जाऊँगी, पर पहले तेरे बाल चाहिए।”
अंबिका – “नहीं! जाओ यहाँ से!”
औरत – “तू मुझे नहीं देगी?”
अंबिका – “नहीं, कभी नहीं!”
औरत हल्के से मुस्कुराई और एक झटके में उसके सामने आ गई। उसने अंबिका के बालों को जोर से खींचा। अंबिका दर्द से चिल्ला उठी – ऐसा लगा जैसे उसके सिर से बालों का गुच्छा उखड़ गया हो।
वह ज़ोर से चीखी – और उसकी नींद खुल गई। क्या ये सब सपना था?
वह आईने के सामने गई – और देखा, उसके आधे बाल गायब थे…

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